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* saralmaterials.com * About * हिन्दी * Register * Login * Practice Set * Contact SARALMATERIALS.COM >> आषाढ़ का एक दिन : कलाकार का मांसिक संघर्ष और उसके व्यक्तित्व का दोहरापन / आधुनिक भावबोध × search Custom Search Sort by: Relevance Relevance Date आषाढ़ का एक दिन : कलाकार का मांसिक संघर्ष और उसके व्यक्तित्व का दोहरापन / आधुनिक भावबोध Posted By Prakash Kumar on Saturday August 7 2021 1058 Hindi Literature Gadhya bhag » Mohan Rakesh आषाढ़ का एक दिन : कलाकार का मांसिक संघर्ष और उसके व्यक्तित्व का दोहरापन / आधुनिक भावबोध ‘आषाढ़ का एक दिन’ में मोहन राकेश कालिदास कालिन ऐतिहासिक-सांस्कृतिक परिवेश का उपयोग करते हुए भी इसे अतीतोन्मुखी नहीं होने देते। यह नाटक तो आज के कलाकार के दोहरेपन को उजागर करना चाहता है। मोहन राकेश कालिदास को राजसत्ता से विमुख बनाकर अपने ग्राम प्रान्त और मल्लिका के प्रेम तक खींच लाते हैं। वे स्वयं भी अभाव में रहते हुए सत्ता को लेकर कभी दुविधाग्रस्त नहीं रहे। वे मानते थे कि राजसंरक्षण और पुरस्कार प्राप्त करने की नियत से कलाकार की प्रतिभा का क्षिण होती है। एक तरफ रचनाकार रचना में व्यवस्था विरोधी छवि बनाता है और दूसरी ओर वह व्यवस्था से पुरस्कारों या अनुदानों को प्राप्त करने की ताक में भी रहता है। एक तरफ वह व्यक्ति स्वातंत्रयवाद का राग अलापता है और दूसरी ओर राजकीय संरक्षण की चिंता पालता है। चूकि मोहन राकेश रचनाकार को सत्ता के संरक्षण एवं रचनात्मक स्वाधीनता के बीच के द्वन्द्व से मुक्त करना चाहते थे, इसीलिए वे अपने नायक कालिदास को सत्ता विमुख बनाकर रचनात्मक प्रेरणा की ओर ले जाते हैं। ‘आषाढ़ का एक दिन’ की कथा वस्तु ऐतिहासिक चरित्र पर आधुनिक संचेतना के आरोपन के कारण हमारा ध्यान खिंचती है। नाटक के पहले अंक का प्रारंभ अम्बिका और मल्लिका के संवाद से होता है। अम्बिका कर्म को, जीवन की आवश्यकताओं को महत्व देती है। मल्लिका जानती है कि स्थूल आवश्यकताओं के अतिरिक्त भी कुछ है जो महत्वपूर्ण है। अम्बिका पुरानी पीढ़ी की प्रतिनिधि है और जीवन के थपेड़ों के कारण यथार्थवादी है। मल्लिका इसके विपरित आदर्शवादी, कल्पनाशील एवं भावनामय है। अम्बिका यदि कर्त्तव्य है तो मल्लिका है जीवन का कवित्व। इसी अंक में कालिदास का प्रवेश घायल हरिणशावक के साथ होता है। यह हरिण शावक राज्यधिकारी दंतुल के वाण से घायल हुआ है। कालिदास हरिणशावक को सेवा और स्नेह से नया जीवन देता है। वह कहता है कि एक वाण प्राण ले सकता है तो अंगुलियों का कोमल स्पर्श प्राण दे भी सकता है। कालिदास की गोद में स्थित हरिण शावक पर दंतुल अपना अधिकार जताता है, क्योंकि वह उसी के वाण से घायल हुआ है। कालिदास का मानना है कि यह घायल हरिणशावक पर्वत प्रदेश की सम्पत्ति है। इस पर्वत प्रदेश में पशुओं का आखेट वर्जित है। यह कालिदास ऋतु-संहार लिखकर प्रसिद्ध हो चुका है। राजा विक्रमादित्य ऋतु संधार के इस लेख को राजकवि पद पर आमंत्रित करने के लिए अपने मंत्री वरूचि को भेजते हैं। दन्तुल वररूचि के साथ ही इस गाँव में आया है। कालिदास राजकवि बनना नहीं चाहता। उसे लगता है कि अपनी जमीन से उखरकर अब तक का अर्जित भी हमेशा के लिए खो देगा। वह मल्लिका से कहता है कि ‘‘मैं अनुभव करता हूँ कि यह ग्राम प्रांतर ही मेरी वास्तविक भूमि है। मैं कई सूत्रों से इस भूमि से जुड़ा हूँ। उन सूत्रों में तुम हो, यह आकाश और ये मेघ हैं, यहाँ की हरियाली है, हरिणों के बच्चे हैं, पशुपालक हैं। यहाँ से जाकर मैं अपनी भूमि से उखर जाउँगा।’’ वह मातुल से कहता है कि ‘‘मैं राजकीय मुद्राओं से क्रीत होने के लिए नहीं हूँ।’’ मल्लिका उसे समझाते हुयी कहती है कि सीमित परिवेश की तुलना में व्यापक परिवेश काव्य प्रतिभा के विकास के लिए अनुकूल है। उसके अनुसार ‘‘नई भूमि तुम्हें यहाँ से अधिक संपन्न और उर्वर मिलेगी। इस भूमि से तुम जो कुछ ग्रहण कर सकते थे, कर चुके हो। तुम्हें आज नई भूमि की आवश्यकता है, जो तुम्हारे व्यक्तित्व को अधिक पूर्ण बना दे।’’ मल्लिका उसे राजकवि देखना चाहती है। वह चाहती है कि कालिदास का यश पूरी दुनिया में फैले। वह यह नहीं चाहती कि उसका प्रेम उसके गृह मोह का कारण बने। अन्ततः उसके समझाने पर हीं यह कालिदास राजकीय मुद्राओं से क्रीत हो जाता है। दूसरे अंक में कालिदास अनुपस्थित है लेकिन नाटककार ने उसकी परोक्ष उपस्थिति सर्वत्र बनाए रखी है। यह कालिदास उज्जयिनी में कुमारसंभव, मेघदूत और रधुवंश लिखकर बड़ी ख्याति अर्जित करता है। सम्राट उसका विवाह राजकन्या प्रियंगुमंजरी से करते हैं। वह काश्मीर का शासक नियुक्त होता है। काश्मीर जाने के रास्ते में वह एक दिन का पड़ाव अपने गाँव में डालता है लेकिन मल्लिका से नहीं मिलता। उसे डर है कि मल्लिका की आँखों से विंधकर वह हमेशा के लिए सत्ता खो देगा। उसकी पत्नी प्रियंगुमंजरी मल्लिका से मिलती है। वह उसके सामने तीन प्रस्ताव रखती है। एक कि वह राज्याधिकरियों में से किसी एक को चुनकर विवाह कर ले। दूसरा प्रस्ताव है मल्लिका के जर्जर घर का परिसंस्कार राज खर्च से करवाने का और उसका तीसरा प्रस्ताव है कि अम्बिका और मल्लिका को अपने साथ ले जाने का। मल्लिका यह कह कर कि ‘‘मैं अपने को ऐसे गौरव की अधिकारणी नहीं समझती’’, प्रस्ताव अस्वीकार कर देती है। मल्लिका को अपने स्वाभिमान की कीमत पर कुछ नहीं चाहिए। उसने प्रेम किया है। प्रेम का विक्रय करना उसका धर्म नही है। तीसरे अंक में, (निर्वासित कालिदास) सम्राट के मरने पर काश्मीर में विद्रोह भड़क उठता है। कालिदास सत्ता छोड़कर सीधे मल्लिका के पास आता है - अपनी प्रेरणा के पास, वह उससे कहता है कि ‘‘शासक पद की स्वीकृति अभावपूर्ण जीवन की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी।’’ जब भी व्यक्ति समाज से उपेक्षा और अपमान पाता है तो प्रतिशोध वस सत्ता की ओर दौड़ता है। कालिदास का सत्ता की ओर भागना उपेक्षा, अभाव और अपमान का ही परिणाम है। लेकिन कालिदास प्रभुता और सुविधा पाकर भी सहज नहीं रह पाता। राजनीतिक कार्यक्षेत्र उसे ओढ़ा हुआ कार्यक्षेत्र लगता है। इस ओढ़े हुए कार्यक्षेत्र को वह हमेशा के लिए त्यागकर अपनी उर्वर प्रेरणा भूमि मल्लिका के पास आता है। वह मल्लिका से कहता है ‘‘ जो कुछ लिखा है वह यहाँ के जीवन का ही संचय था। ‘कुमारसम्भव की पृष्ठभूमि यह हिमालय है और तपस्विनी उमा तुम हो।‘मेधदूत के यक्ष की पीड़ा मेरी पीड़ा है और बिरहविमद्रिता यक्षिणी तुम हो - यद्यपि मैंने स्वयं यहाँ होने और तुम्हें नगर में देखने की कल्पना की। अभिज्ञान शाकुन्तल में शकुन्तल के रूप में तुम्हीं मेरे सामने थीं।’’ यह सुनकर मल्लिका निहाल होती है। लेकिन जैसे ही अपनी रोती हुयी बच्ची को गोद में उठाने के लिए भीतर जाती है कालिदास अपने का निर्वासित कर लेता है। मल्लिका के गोद की बच्ची ने जैसे उसे ऐहसास करा दिया कि समय किसी का इन्तजार नहीं करता। मल्लिका का दुःख भौतिक नहीं भावनात्मक है। # #&lsquo #&rsquo #अंक #अंगुलियों #अतिरिक्त #अतीतोन्मुखी #अधिक #अधिकार #अधिकारणी #अनुकूल #अनुदानों #अनुपस्थित #अनुभव #अनुसार #अन्ततः #अपना #अपनी #अपने #अपमान #अब #अभाव #अभावपूर्ण #अभिज्ञान #अम्बिका #अर्जित #अलापता #अस्वीकार #आँखों #आकाश #आखेट 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BPSC PRELIMS EXAM - SET 1 General Studies (45Q) Total Question - 45This practice set is useful for those student who is preparing for Bihar Public Service Commission examination for Prelims level and This practice set is also useful for various examination of state level and UPSC. आषाढ़ का एक दिन : शीर्षक की प्रासंगिकता, मल्लिका की त्रासदी / केन्द्रीय चरित्र एवं भाषा Saturday August 7 2021 1003 आषाढ़ का एक दिन : अभिनेयता / रंगमंच की दृष्टि से मूल्यांकण / शिल्प Saturday August 7 2021 1004 आषाढ़ का एक दिन : कलाकार का मांसिक संघर्ष और उसके व्यक्तित्व का दोहरापन / आधुनिक भावबोध Saturday August 7 2021 1058 अंधेर नगरी की संवाद योजना Saturday August 7 2021 1113 अंधेर नगरी के शिल्प / लोक नाट्य तत्व के प्रभाव। Saturday August 7 2021 1118 गोदान और मैला आँचल में तुलना Saturday August 7 2021 1149 मैला आँचल में राजनैतिक चेतना Saturday August 7 2021 1190 दिव्या Saturday August 7 2021 1326 अभिनेयता की दृष्टि से ‘अंधेर नगरी’ का मूल्यांकन / अभियन और रंगमंच की दृष्टि से ‘अंधेर नगरी’ की समीक्षा। Saturday August 7 2021 1390 आषाढ़ का एक दिन : अंर्तद्वन्द्व Saturday August 7 2021 1403 POUPULAR POST भारत दुर्दशा का मूल्यांकन / भारत दुर्दशा में नवजागरण/ भारत दुर्दशा का कथ्य या प्रतिपाद्य?/ भारत दुर्दशा मे नायकत्व Saturday August 7 2021 2264 स्कंदगुप्त नाटक के आधार पर प्रसाद की राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना Saturday August 7 2021 1878 भारत दुर्दशा : अभिनेयता Saturday August 7 2021 1448 ‘अंधेर नगरी’ हिन्दी नवजागरण का प्रतिनिधि नाटक है। /भारतेन्दु ने अंधेर नगरी में तमाम्-बाधक तत्वों को आकार दिया है।/ अंधेर नगरी के आधार पर भारतेन्दु का युगबोध । Saturday August 7 2021 1447 आषाढ़ का एक दिन : प्रमुख पंक्तियाँ Saturday August 7 2021 1418 मैला आँचल की आंचलिकता Saturday August 7 2021 1405 आषाढ़ का एक दिन : अंर्तद्वन्द्व Saturday August 7 2021 1403 अभिनेयता की दृष्टि से ‘अंधेर नगरी’ का मूल्यांकन / अभियन और रंगमंच की दृष्टि से ‘अंधेर नगरी’ की समीक्षा। Saturday August 7 2021 1390 दिव्या Saturday August 7 2021 1326 मैला आँचल में राजनैतिक चेतना Saturday August 7 2021 1190 Anthropology Race | Download Study Material | UPSC | General Studies Current Affairs: Events of national and international importance | Economic and Social Development – Sustainable Development, Poverty, Inclusion, Demographics, Social Sector Initiatives, etc | General issues on Environmental Ecology, Bio-diversity and Climate Change (subject specialization not required) | General Science | History of India and Indian National Movement | Indian and World Geography – Physical, Social, Economic geography of India and the World | Indian Polity and Governance – Constitution, Political System, Panchayati Raj, Public Policy, Rights Issues, etc | Miscellaneous | Hindi Literature नागार्जुन | प्रेमचंद | साक्षात्कार | सूरदास | विविध | आषाढ़ का एक दिन | कबीर | Hindi Literature Gadhya bhag Bharatendu | Agyeya | Dr. Satyendra | Jai Shankar Parsad | Mannu Bhandari | Mohan Rakesh | Phaniswar Nath Renu | Premchand | Rajendra Yadav- Ek Dunia Samanantar | Ramchandra Shukla | vividh | Yashpal | Hindi Literature Padya bhag Agyeya | Bihari | Dinkar | Jai Shankar Prasad | Jayasi | Kabir | Maithli Sharan Gupta | Mukhtiboth | Nagarjun | Nirala - Saroj Smriti | Nirala- Kukurmutta | Nirala-Ram ki Shakti pooja | Soordas | Tulsidas | History of Hindi Language and Nagari Lipi Development of Braj and Awadhi as Literary language during medieval period. | Development of Hindi as a National Language during freedom movement. | Development of Khari-boli and Nagari Lipi during 19th Century. | Early form of Khari-boli in siddha- Nath Sahitya, Khusero, Sant Sahitaya, Rahim etc. and Dakhni Hindi | Grammatical and applied forms of Apbhransh, Awahatta & Arambhik Hindi. | Grammatical structure of Standard Hindi. | Prominent dialects of Hindi and their Inter relationship. | Salient features of Nagari Lipi and the efforts for its reform & Standard form of Hindi. | Scientific & Technical Development of Hindi Language. | Standardisation of Hindi Bhasha & Nagari Lipi. | The Development of Hindi as a National Language of Union of India. | History of Hindi Literature Criticism | Drama & Theatre | Katha Sahitya | Literary trends of the Adikal, Bhakhtikal, Ritikal and Adhunik kal | The other form of Hindi prose | The relevance and importance of Hindi literature and tradition of writing History of Hindi literature. | Indian Ancient History General Introduction (सामान्य जानकारी) | Pre Historic Age/Stone Age | Modern Indian History भारत में यूरोपियों का प्रवेश और अंग्रेजों की विजय | News Business | Entertainment | Health | International | National | People | Sci-Tech | Sports | promotional coaching | TOPIC * Anthropology * Download * General Studies * Hindi Literature * Hindi Literature Gadhya bhag * Hindi Literature Padya bhag * History of Hindi Language and Nagari Lipi * History of Hindi Literature * Indian Ancient History * Modern Indian History * More ... 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